दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय

Deen Dayal Upadhyaya Gorakhpur University

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About Department


हिन्दी एवं आधुनिक भारतीय भाषा तथा पत्रकारिता विभाग

गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना 1957 में हुई और हिंदी विभाग 1958 से आरम्भ हुआ। हिंदी विभाग के संस्थापक आचार्य एवं अध्यक्ष प्रख्यात कवि, लेखक डॉ०रामशंकर शुक्ल 'रसाल' थे। उनके साथ विभाग की मज़बूत नींव रखने वाले ग्यारह अध्यापकों से विभाग प्रारम्भ हुआ जिनमें डॉ.गोपीनाथ तिवारी, डॉ०आनंद प्रकाश दीक्षित, डॉ०श्रीपत शर्मा, पं०विष्णुदेव द्विवेदी, डॉ०बालगोविंद मिश्र, डॉ०रामचंद्र तिवारी, डॉ०शान्ता सिंह, डॉ०सत्यनारायण त्रिपाठी, डॉ०देवर्षि सनाढ्य एवं डॉ०भगवती प्रसाद सिंह जी थे। प्रारंभ से ही हिंदी-विभाग को समर्पित अध्यापक मिले जिन्होंने अपनी शिष्यवत्सलता से नई पीढ़ी को रचनाशील बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण और सक्रिय सहयोग प्रदान किया। प्रोफेसर आनंद प्रकाश दीक्षित, डॉ भगवती प्रसाद सिंह, डॉ रामचंद्र तिवारी के नाम पुरानी पीढ़ी में आज भी स्मरणीय हैं।

विभाग की समृद्ध परंपरा और प्रतिष्ठा को देश के स्तर पर प्रतिष्ठित करने में प्रो. परमानंद श्रीवास्तव, प्रो. जगदीश प्रसाद श्रीवास्तव, प्रो. गिरीश रस्तोगी, प्रो. रामदेव शुक्ल, प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, प्रो. कृष्णचंद्र लाल, प्रो.अनंत मिश्र, प्रो. सुरेंद्र दुबे, प्रो. सदानंद प्रसाद गुप्त, प्रो. पूर्णिमा सत्यदेव, प्रो. जनार्दन, प्रो.चित्तरंजन मिश्र, प्रो. रामदरश राय, प्रो. मंजु त्रिपाठी, प्रो. गणेश प्रसाद पांडेय, डॉ. प्रेमवत तिवारी, डॉ. दमयन्ती तिवारी, प्रो. अरविंद त्रिपाठी तथा प्रो.अनिल कुमार राय का अविस्मरणीय योगदान है।

सुधी समीक्षक और गीतकार प्रोफेसर जगदीश प्रसाद श्रीवास्तव 'अतृप्त' का नाम हमारे विश्वविद्यालय का कुलगीत 'दिव्य सुंदर परम पावन' की रचना के कारण विश्वविद्यालय के इतिहास में अपना अमिट अक्षरों में दर्ज है।प्रख्यात समीक्षक एवं संपादक प्रोफेसर परमानंद श्रीवास्तव, प्रख्यात समीक्षक और नाट्य निर्देशक प्रोफेसर गिरीश रस्तोगी, प्रख्यात आलोचक एवं कथाकार प्रो.रामदेव शुक्ल ने अपनी रचनाधर्मिता से हिंदी जगत को समृद्ध किया है।

प्रख्यात साहित्यकार पद्मश्री प्रो० विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, साहित्य अकादेमी (नई दिल्ली) हिंदी के संयोजक, उपाध्यक्ष और निर्वाचित अध्यक्ष रहे और साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका 'दस्तावेज' का कुशल संपादन किया। कवि, कथाकार,आलोचक व संपादक प्रोफेसर कृष्णचंद्र लाल और कवि आलोचक प्रोफेसर अनंत मिश्र ने अपने रचनात्मक योगदान से विभाग की श्रीवृद्धि की है। प्रो.सुरेन्द्र दुबे जी हिंदी विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी एवं सिद्धार्थ विश्वविद्यालय सिद्धार्थनगर के कुलपति रहे। सम्प्रति केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष हैं। प्रो. सदानंद प्रसाद गुप्त जी ने हिंदी विभाग से सेवानिवृत्त होने के उपरांत उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ के उपाध्यक्ष पद के महत्वपूर्ण दायित्व का कुशलतापूर्वक निर्वाह किया ।

प्रोफेसर चित्तरंजन मिश्र साहित्य अकादेमी (नई दिल्ली) में हिंदी भाषा के संयोजक रहे हैं। वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के प्रति कुलपति रह चुके हैं।

हिंदी-विभाग के पुरा-छात्र कविता, कहानी, लेखन तथा अध्यापन एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में जगह-जगह छाए हुए हैं।

वर्तमान में हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो.कमलेश कुमार गुप्त हैं।आचार्य के रूप में प्रो.दीपक प्रकाश त्यागी,प्रो.विमलेश कुमार मिश्र, प्रो. राजेश कुमार मल्ल, प्रो. प्रत्यूष दुबे एवं सहायक आचार्य के रूप में डॉ नरेंद्र कुमार, डॉ राम नरेश राम, डॉ० संदीप कुमार यादव, डॉ.अखिल मिश्र, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अभिषेक शुक्ल, डॉ ऋतु सागर, डॉ प्रियंका नायक और डॉ.अपर्णा पाण्डेय कार्यरत हैं।उत्तर-प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा कबीर अकादमी की स्थापना, मगहर में की गई है। उसके शोध विकास समिति का संयोजन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त कर रहे है। प्रो. प्रत्यूष दुबे को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ से वर्ष 2022 में मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालय स्तरीय सम्मान प्राप्त हुआ है। वर्तमान में प्रो. प्रत्यूष दुबे साहित्य अकादमी एवं हिन्दी परामर्श मंडल के सदस्य हैं। विभाग के सभी शिक्षक अपने अध्ययन-अध्यापन, शोध और सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वहन द्वारा विभाग की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए सचेष्ट हैं।

अध्ययन-अध्यापन और शोध के साथ ही राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों, साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा नवाचारों द्वारा हिंदी विभाग साहित्य-संस्कृति के क्षेत्र में नए गवाक्ष खोलने के साथ ही अपने विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए सदैव सक्रिय और तत्पर है।

हिंदी विभाग ने अपनी समृद्ध परंपरा को याद करते हुए हिन्दी के महत्त्वपूर्ण आलोचक डॉ. रामचन्द्र तिवारी के जन्मशताब्दी वर्ष में केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय शिक्षा मंत्रालय हिमांचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री शिवप्रताप शुक्ल जो के सहयोग से दिनांक 04-06 अक्टूबर, 2024 को 'हिन्दी भाषा और साहित्यः आलोचना का मूल्य और डॉ. रामचन्द्र तिवारी' विषयक त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन के साथ ही अनेक महत्वपूर्ण आयोजन किए हैं।

हिंदी विभाग द्वारा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हेतु आरंभ नवाचारों के क्रम में 'साहित्य संवाद', 'लेखक से मिलिए', 'जे. आर. एफ. से मिलिए' 'साप्ताहिक शोध संवाद', पुरातन छात्र-सम्मिलन,अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, हिन्दी प्राध्यापक परिसंवाद, शैक्षिक भ्रमण, विभिन्न साहित्यकारों की जयंती पर कार्यक्रम और विद्यार्थियों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन उल्लेखनीय हैं।

हिंदी-विभाग सी.बी.सी.एस प्रणाली एवं नई शिक्षा नीति 2020 के आधार पर अपने पाठ्यक्रम को अद्यतन एवं नवीन बनाए रखा है।

हिंदी विभाग में स्नातक (बी.ए.) और स्नातकोत्तर (एम.ए.) स्तर पर हिंदी भाषा एवं साहित्य के अध्ययन-अध्यापन व शोध (पी-एच.डी.)के साथ ही स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार (बी.ए.जे.एम.सी. और एम.ए.जे.एम.सी.) का पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है।